कुरान
kuran

ये जो आयतें है इनका सीधा मतलब ही है कोई गलत अर्थ नहीं लगया गया बिलकुल यही और ऐसा ही कुरान में लिखा है मैंने खुद कुरान पढ़ी है।

       मैंने भी कुरान का अच्छे से अध्यन किया है, और इसे पढ़कर कोई अल्पज्ञ भी बड़े आसानी से समझ सकता है कि ये कोई दैवीय ग्रन्थ नही है, ये नितांत साधारण बुद्धि के व्यक्ति ने लिखा या लिखवाया है, जो कि मोहम्मद नाम से अरब के मक्का में जन्मा था। पूरी कुरान की अधिकांश आयतें (जिनके बारे में मुहम्मद दावा करते थे कि ये अल्लाह ने फरिस्ते सायद जिब्राइल, के जरिये उनतक पहुचाई हैं) जिनको पड़कर ये निष्कर्ष बड़ी सरलता से निकलता है कि लिखने वाले की क्या मंशा रही है, वह किसी भी तरीके से अपने इस धर्म जिसे उसने इस्लाम धर्म नाम दिया, को दुनिया में फैलाना चाहता था, जिसके लिए उसने एक किताब लिखवाई (उसे कुरान नाम दिया ) और और कहा कि उसकी आयतों को आसमान से अल्लाह ने उतरा है.
अल्लाह
islam

कुरान में अल्लाह की कही बातें हैं जैसा की मुहम्मद साहब का दावा था। विचारणीय है कि क्या अल्लाह यदि वह सच्चा ईश्वर है तो क्या ऐसी बातें कर सकता है जैसी कि इस किताब में लिखी है?
 कुरान का अल्लाह अपने तथाकथित दूत पैगम्बर, रसूल (ईस्वर का दूत या सन्देशवाहक) के माध्यम से कभी लोगो को इस्लाम कबूल करने के लिए धमकाता है, कभी  दोजख (नरक की आग) का डर दिखता है, कभी फुसलाता है, कभी लोभ-लालच देता है (और ये लालच भी ऐसे जिन्हें या तो लॉलीपॉप जैसा बचकाना कहलो या अत्यन्त ही शातिराना) जैसे कि यदि वे अल्लाह और उसके रसूल, उसकी उतारी गयी किताब यानि कुरान पर ईमान लाएं उसे जन्नत मिलेगी (इमान लाने का मतलब है, इस्लाम कबूल करके मुसलमान बन जाना, अपनी आंखें मूदकर, बुद्धि पर ताला डालकर मोहम्मद की सब सही-गलत, जायज-नाजायज, तुकी-बेतुकी बातों पर यकीन करना)
मुसलमान बनने के बाद फिर अच्छे बुरे जो भी कर्म करो, जन्नत तो मिलेगी, ऐसा अल्लाह का पक्का वायदा है कुरान में, और जो मुसलमान नहीं बनेगा वह कितना ही अच्छा, नेक, भला, शरीफ इंसान क्यों न हो, कितने ही भले कर्म क्यों न करता हो, वह तो काफिर है उसे अल्लाह अपना दुश्मन मानता है, उसे तो अल्लाह नरक की आग में झोंकेगा ही, ऐसी ही धमकियों और लोभ लालच से भरी है ये किताब जिसे क़ुराने पाक यानि पवित्र ग्रंथ कहा जाता है )
काफिर

जन्नत का बड़ा ही लुभावना वर्णन किया है, ताकि जिसे सुनकर लोग मुस्लमान बन जाएं, अल्लाह ललचाता है कि जन्नत में मीठे पानी के झरने है, फलों से लदे पेड़ है, ये तो हुए बचकाने लालच या लॉलीपॉप और ये हुए शातिराना लालच जैसे कि जन्नत में भोगने की लिए बड़ी खूबसूरत हूरें मिलेगी। (अल्लाह के ऐसे प्रलोभन, लालच पूरी किताब में बिखरे पड़े हैं) और जो मूर्ती पूजा करते है, (जैसे कि हिन्दू ) ईमान नहीं लाते (मतलब इस्लाम कबूल नहीं करते यानि कलमा पढ़कर मुसलमान नहीं बनते) उनके विरुद्ध जिहाद करना मुसलमानो का फ़र्ज़ या कर्तव्य है।
islamic terror

ईमानवालों (यानि मुस्लमान) को जिहाद का आदेश अल्लाह देता है कुरान में। (जिहाद यानि एक ऐसा युद्ध जो मुसलमानों के लिए गैरमुसलमानों से करना चाहिये, उनको इस्लाम में लाने के लिए, ये जिहाद फर्ज किया गया है, ये हरेक मुसलमान के लिए अल्लाह का हुक्म है, ये मुसलमानो के लिए परम् कर्तव्य है, अल्लाह प्रलोभन देता है कि यदि मुसलमान काफिरों के खिलाफ जिहाद यानी युद्ध में जीते तो, लूट में दौलत और लौंडियाँ मिलेगीं यानी लौडियां मतलब काफिरो  यानी गैरमुसलमानों की औरतें, माँ, बहनें।  मारे गये तो जन्नत तो पक्की है, फिर वह काफिरों की मां-बहनों साथ जो चाहे सलूक करे, अल्लाह ने पूरी छूट दी है इस पवित्र कुरान में।
muslim

isis, तालिबान, अलकायदा, मुस्लिम कट्टरपंथी, आतंकवादी अल्लाह और उसके प्यारे नबी मुहम्मद साहब, उसकी आसमान से उतारी गयी किताब कुरान के बताए इसी फर्ज का अनुसरण कर रहे है, जिसे आज का सभ्य समाज आतंकवाद कहता है, वह तो अल्लाह की आज्ञा है। कभी वह अल्लाह अपनी तारीफ में बड़ी बडी बातें करता है, अपनी महानता के किस्से सुनाता है (इम्प्रेस करता है, लोग उसकी बातों में आकर मुसलमान बन जाएं, और ये कहानियां भी कुरान की मौलिक नहीं बल्कि बाइबल और यहूदियों की किताब से ले ली गईं हैं।)
 कभी ये काफिरों (गैरमुस्लिमों) के क़त्ल के लिए मुसलमानों को उकसाता है। तो ऐसा है इस्लाम का अल्लाह, उसका नबी और उसकी महान किताब क़ुराने पाक।  जिसने दुनिया के लोगों को दो भागों में बाँट दिया,  एक मुसलमान और दूसरा गेरमुस्लमान। यह इस्लाम की शिक्षा ही है कि मुसलमान धर्मिक रूप से कट्टर, और दुसरे धर्मों के प्रति अहिष्णु होते है। जिहाद, काफिर, मुस्लिम-गैरमुस्लिम, दारुल ए इस्लाम, दारुल-ए-हर्ब आदि कुरान के हैं.

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Anonymous said…
जिसे अल्लाह ने सही रास्ता बताया हैं वह अल्लाह की यानी कुरान की हर बात को सच्ची मानते हैं. तुम लोग तो सिर्फ पत्थर और मिट्टी से बनाई गई मूर्तियों की पूजा करते हो और अपने आप को सही मार्ग पर समझते हो. क्या ईश्वर ऐसा हैं कि वह इंसान के रूप में पृथ्वी पर जनम लेगा और इंसानों जैसा रहेगा. ईश्वर इन बातों से पाक हैं. वो ईश्वर तो महान हैं. इंसान तो उसकी एक कलाकृति हैं.फिर तुम ईश्वर को इंसान के रूप में देखते हो और उसकी पूजा करते हो. यह कैसे हो सकता हैं. कुरान में अल्लाह ने बताया हैं जो लोग अल्लाह पर विश्वास रखते हैं उनके लिए इस किताब में पथ प्रदर्शन हैं.
कुरान में सुरह यासीन में बताया गया कि, सूरज और चाँद एक दूसरे कभी नहीं मिल सकते सब अपने अपने तय किए हुए दायरे में तैर रहे हैं. आज साइंस भी यही कहता हैं. माँ के पेट में बच्चा कैसे बनता हैं इसका वर्णन कुरान में हैं. आज भ्रूणशास्त्र को पढ़ो उसमें कुरान ने जैसा बताया हैं ठीक उसी प्रकार से माँ के पेट में बच्चा बनने का वर्णन किया हैं.क्या यह एक अनपढ़ इंसान के बस में था. तुम लोग अपनी जीद पर अड़े हो जैसे कि बनी इस्राईल के लोग अड़े थे. उनका अंजाम क्या हुआ कुरान में बताया गया हैं. अल्लाह तुम लोगों को भी सही राह पर चलने की बुद्धि दे. अमीन.
Anonymous said…
जिसे अल्लाह ने सही रास्ता बताया हैं वह अल्लाह की यानी कुरान की हर बात को सच्ची मानते हैं. तुम लोग तो सिर्फ पत्थर और मिट्टी से बनाई गई मूर्तियों की पूजा करते हो और अपने आप को सही मार्ग पर समझते हो. क्या ईश्वर ऐसा हैं कि वह इंसान के रूप में पृथ्वी पर जनम लेगा और इंसानों जैसा रहेगा. ईश्वर इन बातों से पाक हैं. वो ईश्वर तो महान हैं. इंसान तो उसकी एक कलाकृति हैं.फिर तुम ईश्वर को इंसान के रूप में देखते हो और उसकी पूजा करते हो. यह कैसे हो सकता हैं. कुरान में अल्लाह ने बताया हैं जो लोग अल्लाह पर विश्वास रखते हैं उनके लिए इस किताब में पथ प्रदर्शन हैं.
कुरान में सुरह यासीन में बताया गया कि, सूरज और चाँद एक दूसरे कभी नहीं मिल सकते सब अपने अपने तय किए हुए दायरे में तैर रहे हैं. आज साइंस भी यही कहता हैं. माँ के पेट में बच्चा कैसे बनता हैं इसका वर्णन कुरान में हैं. आज भ्रूणशास्त्र को पढ़ो उसमें कुरान ने जैसा बताया हैं ठीक उसी प्रकार से माँ के पेट में बच्चा बनने का वर्णन किया हैं.क्या यह एक अनपढ़ इंसान के बस में था. तुम लोग अपनी जीद पर अड़े हो जैसे कि बनी इस्राईल के लोग अड़े थे. उनका अंजाम क्या हुआ कुरान में बताया गया हैं. अल्लाह तुम लोगों को भी सही राह पर चलने की बुद्धि दे. अमीन.
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