दो घटनाएं देखिए और दुनिया में फैली दो विचारधाराओं का व्यवहार देखिए।

पहली घटना सूदूर न्यूजीलैण्ड की है। वहां एक इस्लाम पीड़ित व्यक्ति हाथों में बंदूक लेकर नमाज पढ़ते हुए पचास लोगों को मौत के घाट उतार देता है। उसे तत्काल गिरफ्तार किया जाता है और उस पर पचास लोगों की हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया जाता है।

लेकिन उस अपराधी के अपराध से पूरा न्यूजीलैण्ड इस प्रकार आहत हो जाता है कि वहां ईसाई महिलाएं हिजाब पहनकर अपनी हमदर्दी दिखा रही हैं। संसद कुरान की आयत से शुरु होती है और मौलवी को बुलाकर शांतिपाठ करवाया जाता है। इतने से भी उनका प्रायश्चित पूरा नहीं होता तो घोषणा करते हैं कि शुक्रवार को राष्ट्रीय टेलीवीजन और रेडियो से अजान का प्रसारण होगा।

यह सब इसलिए क्योंकि उनकी किसी किताब में नहीं लिखा कि तुम्हारा धर्म न माननेवालों को तुम्हें कैसे खत्म करना है। इसलिए उन्हें प्रायश्चित हो रहा है कि हमारे बीच से कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति के साथ ऐसा कैसे कर सकता है। लेकिन जिनकी किताब में लिखा है कि धरती से गैर मुस्लिमों को कैसे खत्म करना है, अब जरा उनका व्यवहार देखिए।

दो दिन पहले पाकिस्तान के घोटकी में दो दलित हिन्दू लड़कियों रीना और रवीना मेघवार का अपहरण करके उन्हें इस्लाम कबूल करवा दिया जाता है। दोनों नाबालिग लड़कियों की जिनकी उम्र क्रमश: १२ और १४ साल है उनकी उम्र से बड़े आदमियों से निकाह कर दिया जाता है। सोशल मीडिया पर चर्चा होती है। जमीन पर धरने प्रदर्शन होते हैं। एफआईआर दर्ज करवायी जाती है लेकिन न तो पाकिस्तानी प्रशासन कोई कार्रवाई करता है और न वहां का मीडिया इस मुद्दे को उठाता है। ऊपर से दो दिन बाद एक मौलवी उन दोनों नाबालिग लड़कियों को लेकर मीडिया के सामने आता है और बताता है बहुत समय से (शायद गर्भ में थीं तभी से) दोनों लड़कियां इस्लाम कबूल करना चाहती हैं, हमने उन्हें अब मौका फरहाम कर दिया है।

पाकिस्तान में हर साल हिन्दू लड़कियों के जबरन अपहरण की ऐसी दर्जनों घटनाएं होती हैं लेकिन वहां कोई मुसलमान इसके खिलाफ नहीं बोलता। बोलेगा कैसे? आखिर उसकी किताब उसे बोलने की इजाजत कहां देती है? वह जानता है कि इस्लाम तो यही है जैसे हो सके सबको मुसलमान बना देना है। अगर कोई अपहरण करके बना रहा है तो गलत क्या कर रहा? गैर मुस्लिम लड़कियों को अगवा करना इस्लाम की ऐसी खिदमत है जिससे धीरे धीरे हर गर्भ से सिर्फ मुसलमान पैदा होगा। इसलिए अगर कोई गैर मजहबी लडयकियों का अपहरण कर रहा है, उनके साथ लव जिहाद कर रहा है तो वह तो इस्लाम की सच्ची खिदमत ही कर रहा है। इसलिए मुसलमान चुप रहता है। उसे कोई दुख नहीं होता। उसके मन में प्रायश्चित के कोई भाव नहीं आते। ऐसी घटनाओं का मुखर होकर विरोध तो छोड़िए, एक शब्द लिखता बोलता तक नहीं।

दुनिया के यही दो विरोधाभाष हैं जिनमें मानवता तिल तिल कर पिस रही हैं।.

यूरोप का बेल्जियम एक जमाने में बेहद खूबसूरत और शांत देश हुआ करता था ...

👉ब्रुसेल्स यहां की राजधानी है और एंटवर्प यहां का सबसे बड़ा औद्योगिक शहर है जो एक बंदरगाह भी है और विश्व की डायमंड कैपिटल भी है ...

👉दुनिया भर की हीरा कंपनियों की एक ऑफिस एंटवर्प में जरूर होती है इसी एंटवर्प से पूरे विश्व के हीरे का ट्रेडिंग होता है

 👉लेकिन आज आप बेल्जियम में घूमेंगे आपको ऐसा लगेगा कि जैसे आप मोरक्को के रबात में या फिर सऊदी अरब के दमाम में घूम रहे हैं .. चारों तरफ शांतिदूत ही शांतिदूत आपको नजर आएंगे ...

👉 दरअसल 1960 और 1970 के दशक में बेल्जियम को अपने कोयले की खदानों के लिए मजदूरों की जरूरत थी और बड़ी संख्या में मोरक्को सोमालिया और मिडिल ईस्ट खासकर तुर्की से मजदूर वहां गए जिन्होंने सुअरो की तरह मल्टीप्लिकेट होकर मात्र 40 दशकों में पूरे बेल्जियम की डेमोग्राफी और संस्कृति बदल कर रख दी

👉अभी हालात ऐसा हो गया है कि ब्रुसेल्स से लगा एक शहर मॉलेनबीक जहां 8 लाख की आबादी है वह 100% मुस्लिम शहर हो गया वहां से सभी ईसाई पलायन कर चुके हैं फिर धीरे-धीरे ब्रुसेल्स की आधा छेत्रफल इस्लामिक घोषित हो चुका है जहां इसाई अपना घर बेच बेच कर भाग रहे है ।

👉बेल्जियम के अखबारों में बार बार यह लिखा जाने लगा है कि आने वाले मात्र 40 सालों में बेल्जियम एक इस्लामिक देश बन जाएगा और जहां  मात्र 50 साल पहले बहुसंख्यक रहे ईसाई अब अल्पसंख्यक बन जाएंगे

👉💣आज हालत ऐसा हो गया है पूरे यूरोप में कहीं भी आतंकी हमला होता है उस हमले के तार कहीं न कहीं बेल्जियम से और खासकर बेल्जियम के मोलेनबीक शहर से  जरूर जुड़े रहते है ।

👉👹इस्लामिक आतंकवाद का सबसे बड़ा केंद्र असल में मस्जिद है .. इन मस्जिदों में हर शुक्रवार को जो तकरीरे होती हैं वह तकरीरे ही आतंकवाद की सबसे बड़े स्रोत हैं

सोचिये समझिए ओर सुरक्षित रहिये🙏

ऎसा क्यों होता है👇
 पहले मैं मानता था कि 'मज़हब नहीं सिखाता आपस में बैर करना' पर कुरआन पढने के बाद मेरे विचार सर के बल पलट गये और इसका कारण कुरआन की ये सूरा : आयतें हैं --
2:98 - अल्लाह गैर मुस्लिमों का शत्रु है ।
3:85 - इस्लाम के अलावा कोई अन्य धर्म स्वीकार नहीं है ।
8:12  - इस्लाम को इंकार करने वालों के दिलों में अल्लाह खौफ भर देगा और मुसलमानों तुम उनकी गर्दन पर वार करके उनका अंग-अंग काट दो ।
3:118-  केवल मुसलमानों को ही अपना अंतरंग मित्र बनाओ ।
3:28 और 9:23  -  गैर मुस्लिमों को दोस्त न बनाओ ।
8:39  -  गैर मुस्लिमों से तब तक युद्ध करो जब तक की अल्लाह का दीन पूरी तरह कायम न हो जाए ।
22:30-  मूर्तियां गन्दगी हैं ।
9:5   -   मूर्तीपूजकों को जहां और जैसे पाओ वहां घात लगा कर मार दो ।
33:61-  मुनाफिक और मूर्तीपूजक जहां भी पकडे़ जाएंगे बुरी तरह कत्ल किये जाएंगे ।
3:62 , 2:255 , 27:61 और 35:3  - अल्लाह के अलावा कोई अन्य प्रभू पूज्य नहीं है ।
21:98 -  अल्लाह के सिवाय किसी और को पूजने वाले जहन्नुम का ईंधन हैं ।
9:28   -  मूर्तीपूजक नापाक हैं ।
4:101 -  काफिर तुम्हारे खुले दुश्मन हैं ।
9:123 -  काफिरों पर जुल्म करो ।
9:29  - काफिरों को अपमानित कर उनसे जजिया कर लो ।
66:9   -  काफिरों और मुनाफिकों से जिहाद (जंग) करो ।
4:56   -  आयतों को इंकार करने वाले की खाल पकाएंगे ।
8:69   -  लूट का सब माल (मतलब महिलाओं सहित) हलाल है ।
9:14   -  अल्लाह मोमिनों के हाथों काफिरों को यातना देगा ।
8:57   -  युद्ध-बंदियों पर नृशंसता करो ।
32:22 -  इस्लाम छोडने वालों से बदला लो ।
हिन्दुओं को विश्वास न हो तो कुरआन डाऊनलोड करके मेरे रेफरेंस को चेक कर लें और मुसलमानों को इसमें कोई गलती नजर आए तो मुझे बेझिझक बता दें ।
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