सबसे पहले  ये कहूंगी में आप सभी को नमन करती हूं वंदन करती हूं, आप सभी का अभिनंदन करती हूं, वो इस लिए क्यू की आप सभी भारतीय संस्कृति में जन्मे है, ये भारतीय संस्कृति है जहां पर जो महिला हे, महिला सशक्तिकरण की बात करती है, महिला सदा ही स्वछंद रही है स्वतंत्र रही है शिक्षित रही है सम्मानित रही है, आपने यह शास्त्रार्थ किया है, पंडितो ऋषिवो से नहीं बल्कि महार्शिवों से भी आपने शास्त्रार्थ किया है, आपने तो वेद मंत्रो की रचना की है, और चुनौती दी है आपने यमराज को चुनौती दी है आपने भीष्म पितामह को, स्वयं शंकराचार्य को लेकिन आपका कभी बहिष्कार नहीं किया गया, आपको कभी मारा नहीं गया जलाया नहीं गया, आपको विद्वान कहा गया विदुषी कहा गया किस लिए क्यों की आप भारतीय संस्कृति में जन्मे है।

चुनौती दी यमराज को सावित्री ने तू मेरे पति के प्राण कहा लिए जा रहे हो यमराज से वार्तालाप हुआ, प्रश्नोत्तर हुआ, यमराज सावित्री की बात से प्रभावित हुवे की उन्होंने उसे १०० पुत्रोंका वरदान दिया, सावित्री ने कहा सो पुत्रोंका वरदान दिए जा रहे हो मेरे पति को कहा लिए जा रहे हो, पति के जीवन को बचाया स्वयं यमराज से, चुनौती दी शंकराचार्य को आज की तारीख क्या कोई इस्लाम के खलीफा को चुनौती दे सकता है, चर्च को चुनौती दे सकता  मुझे नहीं लगता दे सकता  है, और हम कितने शेकड़ो साल पहले की बात करते  हैं चुनौती दी शंकराचार्य को देवी भारती ने और चुनौती कब दी जब शंकराचार्य और मंडन मिश्र में आपस में वाद विवाद (शास्त्रार्थ) हो रहा था। ४० दिन से जादा शास्त्रार्थ चला मंडन मिश्र हर गए। शंकराचार्य जीत गए देवी भारती ने कहा में गृहस्थ हूं, मेरे पति मंडन मिश्र गृहस्थ है वो वो मेरे ग्रहस्थ जीवन की आधी इकाई है , आभी इकाई में हूं आपने आधी विजय प्राप्त की है, मुझपर विजय प्राप्त करो तो जानूं, किसीने ये नहीं कहा तुम तो औरत हो, तुम कैसे बात कर सकती हो ये नहीं कहा अरे आदमी को कैसे ललकार सकती हो, वाद हुआ विवाद हुआ देवी भारती चतुर महिला थी उन्होंने गृहस्थ जीवन के ऎसे सवाल शंकराचार्य से पूछ लिए, की उस समय शंकराचार्य को हार मान लेनी पड़ी।

चुनौती दी भीष्म पितामह को द्रोपदी ने जब दुश्शासन उसके बालोंको पकड़कर दरबार में उसको घसीट रहा था, उस समय चुनौती दी कृषाचर्या भीष्म पितामह को कहा में तो पांच पतियोंकी पत्नी हूं एक युधिष्ठिर मुझे दाव पे कैसे लगा सकता है, और जो पति स्वयं दास बना हो वो मुझे कैसे दाव पे लगा सकता है ,स्त्री कोई वस्तु  क्या जिसको दाव पर लगाया जा सके, सभी इस सवाल पर चुप थे भीष्म पितामह चुप थे कृपाचार्य चुप पे सारे सभासद चुप थे, और तब जो हमारी देवी ने बोला आजभी हमारे संसद  लिखा  है,
 उन्होंने कहा!
वह सभा सभा नहीं जहा वृद्ध न हो।
वह वृद्ध वृद्ध नहीं जो धार्मिक ना हो।।
वह धर्म धर्म नहीं जिसमें सत्य ना हो।
वह सत्य सत्य नहीं जिसमें छल हो।।


हम बात करते  हमारे घर की बेटियां बहोत क्रांतिकारी हो गई  है, मुझे लगता है पिछले ५०० वर्षों में जो क्रांतिकारी हुई वो मीराबाई हुई,
मीराबाई के शादी के बाद चार साल के अंदर पति की मृत्यु हुई, उस समय एक विधवा ना गा सकती थी ना नाच सकती थी, ये कृष के रंग में ऎसी रंगी, ये विधवा गाती भी थी नाचती भी थी समाज ने कहा ये बागी हो गई है समाज ने विष दिया, पर मीराबाई के आत्मबल के आधार पर वो विष भी अमृत हो गया।

वो क्या गाना आता है,
सुना है!
केहेनेको जश्ने बहारा है, इश्क भी देखकर हैरान है ,,,,, कोनासी फिल्म  ये ?
हीरो को है?
हीरोइन को है?
म्यूजिक डायरे्टर कों है?
लिरिसिस कों है?
,,,,, लिरिसिस जावेद अख्तर!
म्यूजिक डायरे्टर ए आर रहमान, लेकिन अकबर कों था?
क्या आपको येश्वर्या राय और रितिक रोशन बताएंगे🤔
क्या ए आर रहमान बताएंगे
  अकबर कों था या जावेद अख्तर बताएगा😏 पूछना हो तो पूछो, रानी दुर्गावती से, जिसका पिता की मृत्यु हो गई पति की मृत्यु हो गई, बेटे की मृत्यु हो गई। १५ साल तक उन्होंने शासन किया था। लेकिन अकबर  कहा मुझसे शादी कर लो मेरे हरम में आ ज्यावो उसने कहा, मर जाऊंगी, मार दूंगी तेरे हरम में नहीं आवुंगी, अकबर ने अपने भतीजे आसफ खा को भेजा जावो, जाकर रानी को मेरे हरम में लेकर आवो, रानी की सेना ने अकबर की सेना को हरा दिया। अकबर ने दुगनी बड़ी सेना भेजी, रानी ने पुरुष वेश धारण किया सेना का नेतृत्व किया, अपने सभासद को कहा अगर में दुश्मन  हाथ में आने लगी तो कटार से मेरी गर्दन उड़ा देना। रानी हारने लगी, आधार सिंह में हिम्मत ना हुवी, रानी ने कटार ली और खुद अपने सीने में डाल दी । ऎसी थी रानी दुर्गा।।।
१५ साल तक राज किया मगर वो अकबर जिसे आपने अकबर द ग्रेट कहा और शिवाजी को पहाड़ी चूहा पढ़ाया गया।
अकबर  बारे में  नहीं लिखा की वो दुर्गा को अपने हरम  लाना चाहता था।।।

क्या गाना है वह पैसा पैसा करती है तू पैसे पे क्यूं मरती है,
फिल्म का नाम- दे दना दन
हीरो का नाम?
हीरोइन का नाम?
लिरिसिस्ट का नाम?
म्यूजिक डायरक्टर का नाम?
आप जब यह गाना आता है ना कि पेसा पेसा करती हे तू पैसे पे क्यूं मरती है, मुझे लगता है कोई भी महिला इस पर ऑब्जेक्शन नहीं उठाती है क्योंकि ऐसे तो बहुत गाने आ चुके हैं। मगर पूछना हो आपको पैसे की वैल्यू तो पूछिए मैत्रई से याक्के वलके के पास दो बीवियां थी, एक थी वैत्रई और दूसरी थी कात्यायनी।
उन्होंने कहा  मेरी सारी संपत्ति छोड़ कर वन में जा रहा हूं, और कहा आधी संपत्ति वैत्रई तुम लेलो और आभी कात्यायनी तुम लेलो।
वैत्रई ने कहा में इस संपत्ति  क्या करू मुझे तो वो संपत्ति चाहिए जिसके लिए आप यह भेाैतिक संपत्ति छोड़कर जा रहे है। ऎसी थी मेरी मां वैत्रई।

मगर ये सब क्यू हो पाया, इन महिलावोंको किसीने पत्थर नहीं मारे किसीने आग में नहीं फेंका गया, जैसे बाकी लोगोंको संस्कृति में होता है क्यू की वो महिलाएं भारतीय संस्कृति में जन्मी थी।
यहापे जब महादेव भी धरती पर आते है उनको अर्ध नरिश्वर का अवतार लेना होता है। ये दिखाने के लिए की ईश्वर भी आधा नर है आधा नारी है। नर और नारी आपस में पूरक है। ये समान नहीं है, बराबर नहीं  ये आपस में पूरक है। और ध्यान आता है जब ब्रम्हा विष्णु महेश तीनों मिलकर महिषासुर का वध नहीं कर पाए तो तिनोंकी दिव्य शक्तियों से मां का श्रुजन होता है। और मां दुर्गा महिषासुर का वध करती है। स्त्रियां जो देवी हुई है, किसिभी और संस्कृति में नहीं हुई है। सिर्फ और सिर्फ भारतीय संस्कृति  स्त्रियां देवी हुई है। ओर अगर आपके यहां सरकार बनती है, देवी देवतओं की सरकार बनती है, तो आपका जो वित्त मंत्रालय है वो किसके पास जाएगा! मां लक्ष्मी के पास।
आपका जो रक्षा मंत्रालय है वो जाएगा मा काली के पास। आज भी मा काली के पास है (निर्मला सीतारमण)।
आपको जो शिक्षा मंत्रालय है वो मा सरस्वती के पास जाएगा।
और सूचना मंत्रालय किसके पास आएगा? नारद मुनि के पास।
हम उस संस्कृति में नहीं जन्मे जिस संस्कृति में कहते है  रहा पुरुष और स्त्री को भगवान  पुरुष की टेढ़ी पसली से बनाया है। में आपको इस्लाम और क्रिश्चिनिटी  बारे में बता रही हूं। बाकी संस्कृति  बारे में बता रही हूं, आप उनके किताबों में पढ़ सकते है। पुरुष जब चाहे इस पसली को हटाकर पतली और सुंदर दूसरी पसली लगा सकता है। पुरुष मालिक है और स्त्रियां दासी है। पुरुष जब चाहे एक पसली हटाकर चार नई पसलियां लगा सकता है। ,,,,,
वहा बराबरी नहीं, वहां सम्मान नहीं है। हम उस संस्कृति  नहीं जन्मे जहा कहते है दुनिया की सबसे पहली पापिं स्त्री है। केहेते है जब भगवान  पहला आदमी बनाया आदम को और उसकी साथ देने के लिए इव को बनाया। उनको छोड़ दिया गया गार्डन में और कहा ये वर्जित फल नहीं खाना। मगर शैतान के कहने पर इव ने उस वर्जित फल को खुद भी खाया और आदम को भी खिलाया। उसके बाद भगवान ने दोनोंको निकाल दिया वह से और छोड़ दिया संसार में जहां पाप ही पाप है। इसलिए स्त्री को कहा जाता है तुम पहिली पापिं हो।

यूरोप में कितने साल तक महिलावोंको पत्थर मार कर डायन कहा जाता था। स्त्री को जला दिया गया मार दिया गया। वैशावृत्ती कहीं ना कहीं संस्कृति का हिस्सा बन जाती है क्यों क्यों की ये रहा आदमी ये टेढ़ी पसली सबसे बड़ी पापी जो है वो स्त्री है। हम इसलिए समझ नहीं सकते क्योंकि हम यहां स्त्री को देवी मानते हैं। हम कहते हैं फेमिनिज्म है स्त्री मुक्ति आंदोलन बुरा है। मगर आप कभी मेरी उंर यूरोप की बहनों से बात करो उनको लड़ना पड़ा, झगड़ना पड़ा कि हम केवल वस्तु नहीं है हम केवल शरीर नहीं है हमें भी बराबरी चाहिए। हमें समानता चाहिए हमें सम्मान चाहिए।
मतदान के अधिकार के लिए लड़ना पड़ा अमेरिका में 1920 तक महिलाओं को मतदान का अधिकार नहीं था, संघर्ष करना पड़ा। इंग्लंड में 1980 तक मतदान का अधिकार महिलाओं को नहीं था
सीजर लैंड हम कहते हैं पैसे इकट्टा करेंगे शादी करेंगे हनीमून के लिए स्विजरलैंड जाएंगे उस सीजर लैंड में 1959 में जनमत संग्रह किया गया, की आदमी हो बताओ औरतों को हम मकान करने का अधिकार दे तो जवाब था नहीं, इनको मतदान करने का अधिकार दीजिए, यह उनका अधिकार है ही नहीं। उसके बाद Switzerland 1971 में महिलाओं को मतदान करने का अधिकार दिया गया
इसको आप  रो कथयालिक सिटी कहते हो किंगडम ऑफ गॉड केहेते हो वहां पर आज भी महिलाओं को मतदान करने का अधिकार नहीं है। डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के 45थ प्रेसीडेंट थे, जब 33 प्रेसिडेंट बं चुके थे अमेरिका में 1920 तक तब भी औरतोंको को मतदान करने का अधिकार नहीं था। उनको संघर्ष करना पड़ा उनको लड़ना पड़ा।
केनडा में तोकहां गया तुम तो इंसान ही नहीं हो जो इंसान होते हैं उनको मतदान करने का हक मिलता है। इसलिए हिंदुस्तान की संस्कृति को को यह ना बताए की बराबरी समानता सम्मान क्या होता है।

संस्कृति तो यहां के कण-कण में है या कि मिट्टी में है जो भारत में हैं स्त्री मुक्ति आंदोलन नहीं स्त्री जागृति की आवश्यकता है। वह भीख इसलिए जब हजार साल की दास्तां रही यहां मुगल काल आया या अंग्रेजो का शासन रहा, तब जो श्रद्धा केंद्र थे हमारे स्त्रियां और मंदिर इन पर हमला हुआ।
मैं कई बार चाहती हूं कि बाबर को हिंदुस्तान में जगह की कमी थी क्या, क्या कारण हे कि राम जन्म भूमि कृष्ण जन्म भूमि और शिव जन्मभूमि तीनों पे मस्जिद है। आपको पता है राम जन्म भूमि की जगह कितनी हैं जितना आपके गांव में जिले का पार्क है,उतना बड़ा है राम जन्मभूमि पर क्या करने की बाबर सीमाओं को लांघ कर आया और वही मस्जिद बनाई। साथ में फना लेता थोड़ी दूर बना लेता यह क्योंकि स्वाभिमान पर चोट करनी थी आपकी श्रद्धा पर चोट करनी थी इसलिए बनाया गया, मैं कई बार कहती हूं कि राम जन्म भूमि का मुद्दा ये मंदिर का मुद्दा नहीं है यह जन्म स्थान का मुद्दा है। लाखों मंदिर है लाखों मस्जिद है कोई मंदिर या मस्जिद में हाथ नहीं डाल रहा हम यही कह रहे हैं कि जन्म स्थान है बाबर ना तुम्हारा है ना हमारा है। इस हिंदुस्तान का तो है ही नहीं इसलिए जन्मस्थान तो वापस आना ही चाहिए।तो जन्मस्थान परा आक्रमण हुआ स्त्री पर आक्रमण हुआ कुप्रथा शुरु हुई। कन्या को कोख में ही मार दिया जाता था बाल विवाह शुरु हुए। कन्या को शिक्षित नहीं करते थे विधवा विवाह नहीं होता था पर्दा प्रथा शुरु हो गई, तो यह सब से बाहर निकलने के
लिए आर्य समाज ने नेतृत्व किया समाज का महात्मा जोतिराव फुले, और सावित्रीबाई फुले जैसे समाज सुधारक लोगों ने स्त्रियोंको शिक्षित करानेका वीडा उठाया। और आज देखिए मेरी कितनी बहनें, शिक्षित है। श्लोक बोल रही है कविताएं पढ़ रही है। और यह मेरे भारत का आज भी है और यह मेरे भारत का कल भी है।
तो हमने देखा तीन प्रकार की संस्कृति या हमारे सामने हैं एक संस्कृति वह है, बुरके की जाली से खुले आसमान में देखना चाहती है। जो बिना पुरुष के बाहर जाना चाहती है चार पत्नियों के साथ पति के साथ नहीं रहना चाहती। उसको तलाक तलाक तलाक हो दिया जाए वह सड़क पर नहीं आना चाहती।
मुझे याद है मेरे पास एक क्लाइंट आई थी तस्सलिम नाम था, मैं और मेरे पति हम 4 साल तक इकट्ठे रहे फिर हम ने शादी कर ली और शादी के 6 महीने के बाद मेरा पति कह रहा है किएक और लड़की को लाना चाहता हूं उससे शादी करना चाहता हूं। मैंने कहा मजाक है क्या जंगलराज है क्या तब तक मुझे उसका नाम नहीं पता था तो उसने कहां कि दीदी आपको मेरा नाम नहीं पता है इसलिए आप ऐसे बोल रही है, तो मैंने कहा नाम में क्या रखा है, तो उसने कहा नाम में ही तो सब कुछ रखा है। मेरा नाम तस्लीम है! जब उसने ऐसा कहा तब मुझे लगा मैं भी चुप थी वह भी चुप थी सारा संविधान भी चुप था और पुलिस भी चुप थी। सब शांत थे क्योंकि उसको मैं हाई कैसे दिलाऊं, ऐसा लग रहा था कि मानो वह अपनी पति की आंख में आंख डाल कर बोल रही हो कि,

तलाक तो दे रहे हो कहर के साथ,


तलाक तो दे रहे हो कहर के साथ,

मुझे मेरा शबाब भी लौटा दो इस मेहर के साथ।

तो इस बार सरकार ने तीन तलाक पे बात करना शुरू किया तो ऐसा लगा कि कोई तो है! कोई तो है जिसको देख कर मुस्लिम महिलाए केह रही है कि,

वह तो भी देखा है तारीख इन आंखों ने की लम्हों ने खता की है सदियों सजा पाई। इसबार गलती मत कर देना, और मोदी सरकार ने वाकई कोई गलती नहीं की। ३ तलाक समाप्त हो गया है। आशा ही नहीं विश्वास है हलाला और चार शादी भी बंद हो जाएगी।
दूसरी संस्कृति है स्वछंद संस्कृति मैं यहां जाऊं वहां जाऊं मेरी मर्जी, मैं खाना खावू ना खाना खाऊं मेरी मर्जी मैं शादी करुं ना करुं मेरी मर्जी। मैं बच्चे पैदा करो ना करूं मेरी मर्जी।
मर्जी और स्त्री आगे बढ़ गए घर परिवार बच्चे सुख सब पीछे छूट गया ये है युरोप की संस्कृति।
और तीसरी संस्कृति है जो यहां है भारत में हैं वह कहती है शिव शक्ति के बिना सब शव है। जोक आती है यह जो स्त्री है वह जननी है माता है जिसका आदर्श लक्ष्मीबाई है, जिसके एक हाथ में घोड़े की नाल है दूसरे हाथ में तलवार है, और पीछे बच्चा बंधा हुआ है, जो कहती है में घर भी संभालेंगी बच्चे भी संभालेंगी, में पति भी संभल लूंगी में समाज का काम भी करूंगी। जिनका आदर्श रानी लक्ष्मीबाई है तब भी मैंने कहा मैं आपको प्रणाम करती हूं आपको नमन करती हूं।

आखिर में बस यही जाऊंगी कि आप बोलोगे ठीक है यह पुरानी बाते हो गई आज की क्या स्थिति है। मगर निर्भया तो आज समाज में होता है और उसके बाद कितने निर्भया समाज में हो गए। जे एस वर्मा कमिषण ने कहा था की पुलिस रिफॉर्म होने चाहिए एजुकेशन रिफॉर्म होने चाहिए पर प्रेक्टिकली क्या हुआ? कुछ नहीं हुआ उसके बाद तो इसलिए कहां से शुरु करें? शुरु करना है तो अपने-अपने घरों से शुरु कीजिए, आप घरों में देखिए, आज मेरी बहनों के सामने जन्म लेना ही एक चुनौती है। ऊपर से ईश्वर हजार लड़के और हजार लड़कियां भेजता है, हजार लड़के अच्छी तरह से डिलीवर हो जाते हैं, मगर हजार लड़कियों में से 950 या 960 ही लड़कियां नीचे पहुंच पाती है! वह 40/ 50 लड़कियां कहा जाती है? मां की कोख में ही मारी जाती है दो उनके लिए जन्म लेना ही चुनौती है। फिर जब लड़की पैदा होती है तो उस बच्ची के लिए मुस्कुराना ही एक बड़ी चुनौती है लड़के की आस में एक के बाद के एक के बाद के कितनी लड़कियां पैदा हो जाती है, जब लड़की पैदा होती है तो ढोल वाले को कहां जाता है कि अगली बार आ जाना, बाबा की मन्नत मांग के लड़का होगा तो ढोल बजाओ, इस बार ढोल मत बजाओ वह लड़की मुस्कुरा भी नहीं सकती। फिर उसके बाद स्कूल जाना ही एक चुनौती है कि छोटी बच्ची घर संभालेगी, भाई-बहनों को संभालेगी, चुला चौका करेगी या स्कूल जाएगी।
बच्ची जब स्कूल जाती है उसके बाद कॉलेज जाती है तो ग्यारवी में कौन से विषय लेगी इस पर चर्चा होती है कि लड़की है साइंस लेकर क्या करेगी? हु लड़की सोचती है मुझे कल्पना चावला बता है, मुझे उड़ना है मुझे सिर्फ अवसर दो।
फिर लड़कों के साथ जाएगी क्या करे, मै मानती ही सिक्योरिटी एक भाग है मगर ऐसा सोच कर उसका कॉन्फ़िडेंस तोड़ दिया जाता है उसके कॉन्फ़िडेंस को मत तोड़ दो।
हमे उड़ने दो, हमें उड़ने दो🙏
 Monika Arora, Supreme Court Lawyer:


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