नमस्कार दोस्तों,
में राहुल केडिया।
भारत में दलितों को 52000 करोड रुपए बजट में मिला, जबकि पाकिस्तान में दलितों को बजट के नाम पर हत्या, अपहरण, फिरौती, लूट, दलित औरतों का बलात्कार, इत्यादि मिलता है। अब आप शायद यह सोच रहे होंगे कि पाकिस्तान तो सिर्फ मुसलमानों के लिए बना हुआ था। तो फिर भला वो दलितोंको बजट का हिस्सा क्यों देगा? ठीक ऎसाही सोच रहे हो ना ???


 लेकिन अगर आप ऐसा सोच रहे हैं, तो आपकी सोच नवजात शिशु के समान है । आपको इतिहास मालूम ही नहीं।
 हैं दरअसल 1947 के पहले दलितों की पार्टी एससीएफ यानी schedule caste federation जिसका गठन किसी और  नहीं स्वयं अम्बेडकर ने किया था। अली जिन्हें की पार्टी मुस्लिम लीग के साथ समझोता किया की हमे भारत को विखंडित करके एक अलग राष्ट्र बनाना है, दलितों और मुसलमानों के लिए।

 ध्यान दीजियेगा  दलितों और मुसलमानों के लिए। सिर्फ मुसलमानों के लिए नहीं। और जिसका नाम होगा पाकिस्तान। क्या आपको पता है आंबेडकर की पार्टी एससीएफ का नेता योगेंद्र नाथ मंडल पाकिस्तान का पहला कानून मंत्री बना था?
 उस वक्त जोगेंद्र नाथ मंडल के साथ साथ तमाम पाकिस्तान प्रस्त दलितों ने ये सोचा होगा, अब तो पाकिस्तान बन गया है, हमारा अलग देश बन गया है, अब दलितों के मजे होगे।
 मगर हुआ ठीक इसका उल्टा क्यों की जिहादी अपने बाप तक के सगे नहीं होते। जिहादियों ने तो दलितों को सिर्फ मोहोरा बनाया था ताकि जनसंख्या के बल पर अलग देश बनाया जा सके और फिर दलितों को साफ करके पाकिस्तान को इस्लामिक देश बनाया जा सके। और हुआ ठीक ऎसाही।

१९४७ में पाकिस्तान में करीब ३४% हिन्दू थे आज १% से कम बच्चे है। पाकिस्तान बनाते है दलितों को मिलने वाले हर प्रकार का भत्ता बंद कर दिया गया। पाकिस्तान के मुसलमान किराए दारो ने दलितोंको किराया देना बंद कर दिया, दलितोंकी बहन बेटियां मुसलमानों के लिए बाप की जागीर बन गई, जिन्हें जब चाहे मुसलमान उठा ले जाते, अपनी हवस का शिकार बनाते। आए दिन पाकिस्तान में दंगे होने लगे, आपको सिर्फ एक दिन  इतिहास बताता हूं, और ओ दिन था २० फरवरी १९५०।

उस दिन पाकिस्तान के मुसलमानों ने १०००० से ज्यादा हिन्दू दलितों का नरसंहार किया था, ये बात किसी संघी के किताब में नहीं लिखी  ये तो खुद जोगेंद्र नाथ मंडल ने अपने इस्तीफे में लिखा है, जब जोगेंद्र नाथ मंडल को ये लगने लगा कि अब उसकी जान पाकिस्तान में सुरक्षित नहीं है तो ओ अपने दलितोंको पाकिस्तान में छोड़कर भाग निकला और पश्चिम बंगाल में आकर गुमनाम की जिंदगी जी कर मर गया,आज जोगेंद्र नाथ का इस्तीफा किसी भी दलित के लिए डरावनी मूवी से कम नहीं है।

दलितोंकी दुर्दशा का पूरा आरोप जोगेंद्र नाथ मंडल के ऊपर डाल दिया गया, और अम्बेडकर को साफ सुत्रा बताया गया, देश के गद्दारों ने अपने दामन को साफ दिखाने के लिए एससीएफ पार्टी का नाम बदल दिया,उसी एससीएफ को आर आरपीआई यानी रिपब्लिक पार्टी ऑफ इंडिया के नाम से जाना जाता है।

इसीलिए कहा जाता है कि जब भी किसी भिमेट के सर पर भीम मिम गठबंधन का भूत सवार होता है, तब उस भूत को उतारने के लिए एक बंगाली चप्पल सुंघानी पड़ती है जिसका नाम है जोगेंद्र नथा मंडल। आज ७० साल बाद वहीं कांड खेला जा रहा है। अंतर बस इतना है जोगेंद्र नाथ मंडल का रूप जिग्नेश मेवानी जैसे गद्दारों में निहित हो चुका है, धन्यवाद दोस्तो, मिलते है अगले ब्लॉग में🙏

















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3 Comments

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Suji he said…
एक मुस्लिम एक बस में चढ़ा और उसने ड्राईवर से अनुरोध किया कि बस में बज रहे पाश्चात्य संगीत को तत्काल बन्द कर दे. ड्राईवर ने कारण पूछा तो उसने
कहा कि इस्लाम के अनुसार संगीत सुनना हराम है क्योकिं प्यारे नबी के समय संगीत नहीं था और विशेष रूप से पाश्चात्य संगीत तो बिलकुल नही.
ड्राईवर ने विनम्रतापूर्वक रेडियो बन्द कर दिया, बस का दरवाज़ा खोला और मुस्लिम को बस से नीचे उतर जाने का निवेदन किया. उसने कारण पूछा तो ड्राईवर ने विनम्रता से उत्तर दिया ---

"देखो भाईजान प्यारे नबी के समय कोई टेक्सी नहीं थी, कोई बस नहीं थी, कोई बम नहीं थे, हवाई जहाजों का अपहरण करने वाले नहीं थे, मस्जिद में शोरगुल मचाने वाले लाउडस्पीकर नहीं थे, कोई आत्मघाती हमले नहीं होते थे, RDX, असला, बारूद नहीं था, AK-47 नहीं थी, सर्वत्र केवल अमन और शान्ति थी अतः चुपचाप नीचे उतर जाओ और अपने गंतव्य तक पहुँचने के लिए ऊँट का इन्तजार करो...😂😂
The Mechanical Monk said…
बस भाई आपको, dr. हसन निसार, dr apj क़ब्दुल कलाम और तारिक़ फतह जैसे लोगों को सुनकर लगता है मुस्लिम भी out the box सोचने में यकीन रखते हैं।

आप के जैसे युवा मानवता को एक नए आयाम तक ले जाएंगे और उज्ज्वल भविष्य देंगे।

मैं कभी भी किसी भी तरह के कन्वर्शन को सप्पोर्ट नहीं करता
आप उस धर्म, पंथ, दीन को प्रैक्टिस करें जो आपके माता पिता ने धरोहर के रूप में आपको दिया है, कन्वर्ट होकर माता पिता की धरोहर का मजाक न उड़ायें।

जिस तरह विज्ञान पढ़ने के लिए आपको वैज्ञानिक नहीं बनना पड़ता ठीक उसी तरह अन्य धर्मों के शास्त्रों उनकी अच्छी बातों को पढ़ने के लिए आपको कन्वर्ट नहीं होना है सिर्फ उनका साहित्य ही तो पढ़ना है।

श्रीकृष्ण गीता के तृतीय अध्याय में कहते हैं- कर्मरूपी यज्ञ से बचे हुए (परिश्रम द्वारा अर्जित) भोजन को जो पहले बांटते हैं फिर जो बच जाए उसे खाते हैं, वे श्रेष्ठ पुरुष हैं और जो पहले स्वयम खाते हैं फिर बांटते हैं वे पाप ही खाते हैं।
कितनी अजीब बात है श्रीकृष्ण की यह बात पैगम्बर मोहम्मद के जीवन में व्यवहार में लायी जाती है उन्होंने कह रखा था अपने अनुयायियों को कि -तुम्हारे बनाये हुए भोजन की खुशबू जहाँ तक जाए समझो वहाँ तक निमंत्रण हो गया

मिलती जुलती हुई बात जीसस कहते हैं- जो देंगे उन्हें और भी दे दिया जाएगा और जो मांगेंगे उनसे वह भी छीन लिया जाएगा।

ये सभी बातें एक ही जगह से आ रही हैं सुनने वाले फर्क पैदा कर देते हैं।
वे कृष्ण, मोहम्मद, जीसस, नानक, बुद्ध महावीर के तल तक उठने के बजाए इन्हें ही अपने तल पर ले आते हैं। ऐसा करने में सुविधा भी बहुत है।

लेकिन अब जागना होगा हमें उनके स्तर तक उठना होगा बजाए उन्हें अपने तल पर लाने के।. .
Niranjan Yamgar said…
This is the difference between Hinduism and Islam...

In Hinduism people learn to love and respect... Because they believe god is in everything..

But in Islam People teach/learn to hate other and disrespect other religion. Because they believe everything is given by alla, those who don't believe in alla is a criminal...

I'm a Hindu and I'm proud that I learn to love and respect others religious as well..!

God is in every living things..! For an example, I'm a part of my parents, when I born my body my blood everything came from my parents.. It's makes me part of my parents.. their DNA is inside me... Doesn't mean I'm the property of my parents.

Similarly if god created us, it's means god is also inside everything living things. Because he is ultimate father of all..!

Har Har MahaDev. 28 replies.
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