मुस्लिम को कैसे रेहेना चाहिए ?
उससे पहले हमें हिन्दू मुस्लिम में कितनी समानता है ये देखना जरूरी है🙏
अल्लाह भगवान शिव / ओरियन या पूरी आकाशगंगा के केंद्र का दूसरा नाम है। काबा एक शिवलिंगम है। अल्लाह से पहले, मक्का में पूजे जाने वाले ईश्वर हुबाल या चाँद के देवता थे।
भगवान शिव को हिंदू धर्म में शशि शेखर या चंद्र भगवान भी कहा जाता है।
हुबल (अरबी: هُبَل) पूर्व-इस्लामिक अरब में पूजे जाने वाले देवता थे, विशेष रूप से मक्का में काबा में कुरैशी द्वारा। यह मूर्ति एक मानव आकृति थी, जिसे दैवीय कृत्यों को नियंत्रित करने के लिए माना जाता था, जो प्रतिमा के पहले तीरों के रूप में थी।
भगवान शिव या चंद्र भगवान।
ध्यान दें, पाकिस्तान और तुर्की के झंडे में चंद्र का प्रतीक अभी भी उपयोग किया जाता है।
हुबाल / अल्लाह की तीन बेटियों वास्तव में तीन बेटियों, अल-उज़ज़ा, अल-लत और मन्नत के रूप में पूजा जाता है और उन्हें प्राचीन अरब में पवित्र त्रिमूर्ति माना जाता था। वे चंद्र भगवान या हुबाल की तीन बेटियां थीं।
यह ओरियन तारामंडल की पूजा और ओरियन बेल्ट से आता है जो उनकी 3 बेटियों का प्रतिनिधित्व करता है।
यह हुबाल की छवि है, और उनकी 3 बेटियां ओरियन बेल्ट हैं।
अल-लत (अलनीलम), मन्नत (मिंटाक) और अल-उज़्ज़ा (अलनीतक)
ये 3 देवी वास्तव में हिंदू धर्म में लक्ष्मी, सरस्वती और काली / पार्वती हैं। (3 देवी और 1 शेर / बाघ = शक्ति)
और हिंदू धर्म में ओरियन को काल भैरव / भगवान शिव (चंद्र भगवान) के रूप में पूजा जाता है। ध्यान दें, दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में सांप है।
यहां तक कि Gizza के पिरामिड पृथ्वी पर ओरियन/ हुबाल/ शिव के बेल्ट से जुड़े हैं।
वास्तव में हम ओरियन / कालभैरव / अल्लाह के दूधिया रास्ते पर चलते हैं।
शिवलिंग की पूजा / शिव / चंद्र भगवान का प्रतीक
काबा में एक काले पत्थर की पूजा
असली शिवलिंग / मक्का आकाशगंगा के केंद्र में है जिसके चारों ओर दूधिया रास्ते का पूरा ब्रह्मांड घूम रहा है
वास्तविक सदाशिव शिवलिंग / मक्का हमारे मिल्की मार्ग के केंद्र में है और एक सुपर विशाल ब्लैक होल है जो कि विलक्षणता या गैर-द्वैत / अद्वैत वेदांत का प्रतीक है।
वास्तव में, अब्राहमिक धर्म सनातन धर्म का एक विस्तार हैं:-
ब्रह्मा = अब्राहम (मानव जाति के पिता)
विष्णु = ईसा मसीह / ईसा-इब्न-मरियम (शिक्षक और मानव जाति के रक्षक)
शिव / महेश्वरा = हुबा + अल / अल्लाह / मक्केश्वर / पिता (निराकार अनंत, सर्वव्यापी, सर्वज्ञ, भगवान)
शक्ति / देवी = पवित्र आत्मा (ईसाई धर्म में) = अल-उज़्ज़ा (मातृ प्रकृति)
और कुछ मेरे मन की बाते मुस्लिम को कैसे रेहेना चाहिए ?
- भारत देश जितना हिन्दुओं का है उतना ही मुसलमानों का हैं, तो इसका सम्मान करें। राष्ट्रीय चिन्हों का सम्मान करें और इन्हे एक धर्म से जोड़कर ना देखें। राष्ट्र की वंदना और सम्मान को अपने धर्म से जोड़कर ना देखें।
- राष्ट्रगीत, राष्ट्रगान और राष्ट्र चिन्हों का सम्मान करें और पूरे जोश के साथ वंदे मातरम् और भारत माता की जय बोलें।
- हर चीज़ में धर्म को ना बीच में लाए। क़ुरान हदीस, मुल्ला, मौलाना, मौलवी, मुफ्ती, क़ाज़ी, उलेमा के पास हर चीज के लिए ना जाए। दैनिक समस्याओं के निवारण के लिए अपने विवेक का प्रयोग करें।
- इस्लाम का अध्ययन खुद से करें और समझे। इसके लिए किसी मुल्ला मौलवी के पास ना जाए।ज़ाकिर नाईक से तो बिल्कुल भी नहीं।
- मुस्लिम फर्स्ट की नीति से परहेज़ करें। बाकी धर्मों के लोग भी बराबर ही हैं।
- नेशन फर्स्ट की नीति ज्यादा बेहतर है।
- इस भ्रम से बाहर निकले की कोई मुसलमान गलत नहीं हो सकता। अपराधों को साम्प्रदायिकता और धर्म से जोड़कर ना देखें।
- दुनियाभर के मुसलमानों के साथ क्या हो रहा है, उसके लिए भारत में उद्दंड और अराजकता ना फैलाए। उदहारण के लिए आज़ाद मैदान दंगों को याद कर लीजिए। रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठियों को भारत में बसाने के लिए प्रदर्शन ना करें।
- भारत में इस्लाम का राज, गज़वा-ए-हिंद, निज़ाम-ए-मुस्तफा, खलीफा राज, इन सबका ना ही अनुसरण करें और ना ही ऐसे विचारों को बढ़ावा दे या प्रचार करें।
- धर्मनिरपेक्षता और सहिष्णुता दो-तरफा चीज़ें हैं। इसे सिर्फ बहुसंख्यक मानने के लिए बाध्य नहीं है। आप भी इसका पालन करें।
- इस्लामिक कट्टरपंथ से दूरी बनाकर रखे।
- धार्मिक अल्पसंख्यक होने के नाम पर धर्म के नाम पर विशेष छूट की अपेक्षा ना रखें।
- संविधान और कानून को धर्म से ऊपर रखें।
- 4 बीवी, 40 बच्चे की नीति से दूरी बनाएं रखें। परिवार नियोजन अपने विवेक और राष्ट्रहित को ध्यान में रखकर करें। किसी मौलाना या मुल्ला के कहने पर बहुविवाह और ढेर सारे बच्चे पैदा न करें।
- बच्चों को अल्लाह की देन कहकर बच्चे पैदा ना करें। यह 21वीं सदी है। परिवार नियोजन आपके नियंत्रण में है।
- अपने बच्चों को मदरसा या मुल्ला, मौलवी के पास पढ़ने भेजने के बजाय किसी अच्छे विद्यालय में भेजे।
- औरतों को हवस बुझाने और बच्चा पैदा करने की मशीन ना समझे। उन्हें इंसान समझे और इंसानों की तरह पेश आए।
- और क्या क्या बाते है जो मुस्लिम को बता सके कि सच्छे मुस्लिम को कैसे रेहेना चाहिए ?
- निकाह को एक समझौता ना समझ के एक रिश्ते की शुरुवात माने। तीन तलाक और हलाला का अनुसरण ना करें।
- बच्चियों का 15 की उम्र में ही निकाह करवाने की बजाय औरतों को खुद से सोचने की आजादी दे।
- औरतों को जबरदस्ती बुर्के में कैद ना करें।
- भड़काऊ भाषण और नेताओं से दूर रहे जो कहते हैं कि इस्लाम खतरे में है।
- इतिहास के काले अध्यायों को ना खोले। आने वाली पीढ़ी को गुजरात दंगे और नफरत की चीज़ों बताने के बजाय सहिष्णुता और सद्भावना सिखाएं।
- राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखें, राष्ट्र को इस्लाम से ऊपर रखें। राष्ट्र को आगे बढ़ाने के लिए मेहनत करें।
- लव जेहाद जैसी चीजों से दूर रहे। धोखे से प्यार के नाम पर किसी दूसरे धर्म की लड़कियों को ना फंसाए। दो धर्मो के बीच सच्चे प्रेम संबंधों को जगह दे। अगर एक मुसलमान लड़का किसी हिन्दू लड़की से शादी कर सकता है, तो एक हिन्दू लड़का भी किसी मुसलमान लड़की से शादी कर सकता है। इसमें खून-खराबा करने की आवश्यकता नहीं है। अंकित सक्सेना वाला हाल ना करें।
- समान नागरिक संहिता का विरोध ना करें।
- धर्म के नाम पर वोट ना करें।
- अपनी धर्म का पालन करें लेकिन ध्यान रखें कि किसी और को आपके द्वारा दिक्कत ना हो।
- हिंसा का रास्ता ना अपनाए।
- अपने धर्म का पालन करें और दूसरे धर्मों का सम्मान करें।
- कृपया करके गाय का सम्मान करें। गौहत्या और गोकशी से दूर रहें। यह बहुत ज्यादा लोगों की भावनओं से जुड़ा हुआ है।
- आप भारतीय मुसलमान हैं। इस पर गर्व करें।आपको पाकिस्तान, दुबई या सऊदी अरब के मुसलमानों जैसा बनने की जरूरत नहीं है, आप अनोखे हैं और दूसरे देशों के मुसलमान जैसा बनने की नकल करने में अपनी इस भारतीय परम्परा और पहचान को ना खोए।
- अपने इतिहास को बोध रखें और इस तथ्य से परहेज़ ना करें की आप सभी के पूर्वज हिन्दू ही थे।
बदलाव: अंतिम से दूसरे और तीसरे बिंदुओं को बाद में जोड़ा है
धन्यवाद।
जय हिंद। भारत माता की जय।
मुस्लिम को कैसे रेहेना चाहिए ? इसके लिए और भी उदाहरण है मेरे पास
जीव हत्या पाप है!
जैसे हमे अपना जीवन प्यारा है,
वैसे सभी जीवों को उनका जीवन प्यारा है।
जैसे हमें दुःख पसंद नही है,
वैसे किसी भी जीव को दुःख पसंद नही है।
दूसरों को दुःखी किये बिना सुखी बनने की कला ही सर्वश्रेष्ठ जीवन है ।
जिस पर दुःख का अहसास नहीं ,उस दिल में प्रभु का वास नही।
उसके पास तो दिल ही नही।
जहा मुर्दे गाड़े जाते है उसे कब्रिस्तान कहते है,
क्या हमारा पेट भी कब्रिस्तान है?
कतलखाने की दीवारें अगर शीशे की होती, तो शायद ही कोई मांस खाता।
प्रभु ने हमसे दुर्गुणों की बली मांगी थी, और हम पशुओं की बली चड़ा रहे है।
मात्र एक दिन कत्लखानों की सैर कर लो, जीवन में कभी मांस खाने की इच्छा नही होगी।
हमे जो पसंद न हो वैसा बर्ताव हमें भी किसी के साथ नही करना चाहिए।
अगर मर्द हो तो दूसरों पर वार करने से पहले
खुद पर वार करके दिखाओ।
हम जो देते है वो ही हमें गुनाकर वापिस मिलता है।
जो दया करता नही, उस पर दया लागू होती नहीं।
जो दूसरों को दुख देते नहीं उन पर इतने दुख आ रहे है,
तो जो दूसरो को दुःख देते है उनकी क्या हालत होगी?
जब अंदर मे रही हुई मानवता मर जाती है,तब ही दूसरों को मारने की इच्छा होती है।
हिंसक भोजन अशांतिमय जीवन,
अहिंसक भोजन शांतिमय जीवन।
पशु हिंसा के संस्कार मानवों की भी हिंसा करवाता है।
जो दूसरों को अशांति देता है, उसे शांति कभी नहीं मिलती।
मांस खाने वाले हमेशा लड़ते झगड़ते ही दिखेंगे।
प्रभु को खुश रखना हो तो, उसके सभी बंदो को खुश रखो।
एक भी जीव को नाराज किया, तो प्रभु भी नाराज हो जाएंगे।
प्रेम किसे कहते है वो पशुओं से सीखो।
पशुओं को हमारी जरूरत नही है, हमें पशुओं की जरूरत है।
समस्त दुखो का मूल हिंसा है।
पशु स्रष्टी जितनी कम होगी, रोगों की स्रष्टी उतनी ही बढ़ेगी।
हमे अगर जिंदा रहना है, तो पशुओं को भी जिंदा रखना पड़ेगा।
अगर हम पशुओं को जिंदा नहीं रखेंगे, तो कुदरत हमे भी नही छोड़ेगी।
जिसको सब में भगवान दिखे, वो खुद भगवान बन जाता है।
समस्त सुखों का मूल करूणा है।
आपका मांस कोई खाए तो आपको कैसा लगेगा?
दूसरों को सुखी रखने वाला ही खुद भी सुखी बनता है।
करुणा बिना का हदय यानि प्राण बिना का शरीर।
अगर आप विश्व की सभी समस्या को समाप्त करना चाहते हो तो सबसे पहले आप दूसरों के लिए समस्या बनना बंद कर दो।.